trip to Samaspur bird sanctuary (part-2)

चाय पीने के बाद हम वापस सफर पर निकल पड़े। जैसे ही हम लखनऊ से थोड़ा आगे बढे हम खेतो के बीच से होते हुये हाइवे से गुजर रहे थे और धीरे धीरे गाँव की खुशबु हमे आने लगी थी। और चारों तरफ धान के हरे भरे खेत देखकर मन में एक अलग सी खुशी हो रही थी क्योंकि मैं पहली बार किसी गांव में रुकने जा रहा था। और तभी मेरे फ्रेंड ने गाड़ी किनारे रोक दी और गाडी को थोडा रेस्ट दिया और बीयर के कैन खोल के बीयर पीने लगे और मैं भी coldrink निकाल कर पीने लगा। थोड़ी देर आराम करने के बाद हम वापस तैयार थे चलने के लिए पर इस बार गाडी चलाने की जिम्मेदारी मैंने ली और मैं चलाते लगा। हम अब भी गाँव से २ घंटे की दूरी पर थे। और बाकी सब दोस्त मस्ती करते हंसते खेलते गांव पहुँच गये जहाँ आदित्य के दादा दादी ने हमारा स्वागत किया और थोड़ी देर आराम करने के बाद शाम के समय हम सब दादाजी के साथ उनके देखने गये। और खेत देख के खुश होने लगे तभी उन्होंने खेत के बीच लगे ट्यूबवेल की तरफ इशारा कियाजिसे देख के हम खुशी से उछल पड़े। और दादाजी ने ट्यूबवेल चला दिया। जिसमे हम दो घंटे तक नहाये और बहुत मजे किये फिर हम घर आ गये और दादी के हाथों की गरमा गरम चाय और पोहा खाके मजा आ गया। हम लोग दादाजी के साथ घंटो बैठके बाते किये। रात हो गयी थी और खाना खाने का समय हो गया था । और आदित्य की चाची जी ने खाने में छो ला भटूरा बनाया था जिसे हम लोगो ने पेट भर कर खाया। सारी शर्म हया छोड कर हमने बहुत खाया ऐसे खाये जैसे कभी मिला ही न हो। क्योंकि सच में हम लोगो ने अपनी लाइफ में इतने अच्छे छोले भटूरे नहीं खाये थे। खाना खाने के बाद हम सब खुले आसमान के नीचे छत पर सोने चले गये।और रात भर सुबह की बाते होने लगी कि हम कितने बजे समसपुर bird santury के लिए निकलेंगे और क्या क्या करेंगे यही सब बाते करते करते कब हम सो गये पता ही नही चला ।
                                 To be continued....

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